Saturday 24 April 2021

सफलता के सूत्र---मंगल देव कटारिया की जीवनी (जीवन की मधुर स्मृतियाँ)

 

सफलता के सूत्र---मंगल देव कटारिया की जीवनी (जीवन की मधुर स्मृतियाँ)

लेखक: मंगल देव कटारिया, प्रकाशक: गौरव कटारिया, जयपुर,

भाषा: हिंदी, पृष्ठ संख्या:३७०, मूल्य: ज्ञान वर्धन हेतु

प्रथम संस्करण: जनवरी २०२१, ISBN : लिखा नहीं 

 

प्रत्येक व्यक्ति का  जीवन अलग अलग व्यतीत होता है , कुछ अच्छा, कुछ ख़राब, कुछ मीठा, कुछ खट्टा। हमारा जीवन कैसे चले , इस पर हमारा पूरा नियंत्रण नहीं होता है। हालाँकि हम यह पूरी कोशिश करते हैं कि हमारा जीवन यापन अच्छे से अच्छा हो, परन्तु फिर भी अनेक कमियां रह ही जाती है।  हम इसे भाग्य का खेल मानते हैं परन्तु शायद कुछ व्यक्ति मेरी बात से सहमत नहीं होंगे।  चाहे जो भी हो , प्रत्येक व्यक्ति यह चाहता है कि मेरा जीवन तो जैसा था वैसा था, परन्तु मेरे परिवार के अन्य सदस्य और अन्य रिश्तेदार, मेरे जीवन  की सफलताओं और असफलताओं से शिक्षा ग्रहण करें और जितना हो सके उतना, अपने इस जीवन को बेहतर बनायें  और इसी तरह आने वाली पीढ़ियों का निर्देशन करते रहें । इसके  लिए  लिखित रूप में स्थितियों का वर्णन और उनका मूल्यांकन  करना जरुरी है और इसके लिए , जीवन में जो कुछ हुआ , मोटे मोटे स्तर पर  उसका रिकॉर्ड होना चाहिए। इसके लिए जीवनी लिखना एक मजबूत साधन है और उपयुक्त कार्रवाईओं  के लिए जीवन  का वृत्ताँत एक मजबूत आधार बन सकता है। लेखक ने इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए , इस कृति का सृजन किया है।

पुस्तक की शुरुआत में पुस्तक के शीर्षक, प्रकाशक , मुद्रक आदि का विवरण दिया गया है और अगले  पृष्ठों पर लेखक के दादा जी , माता श्री, पिता श्री के फोटो, गुरुवचन, ईश्वर प्रार्थना, श्री प्रदीप शर्मा की अभिव्यक्ति  और उनका परिचय, आभार , प्रस्तावना , अनुक्रमणिका प्रस्तुत किये गये हैं। लेखक ने अपनी आत्मकथा को पांच खण्डों में प्रस्तुत किया है। पहले खंड में अपने जीवन की यात्रा के लगभग १५ प्रतिशत पहलुओं पर लिखा है। इस में लेखक का जीवन  वृत्तांत , दो अंतर्राष्ट्रीय सेवा संस्थाओं , पारिवारिक परिचय, ज्येष्ठ भ्राता हनुमान प्रसाद कटारिया , छोटा भाई अभय देव और छोटी बहन शकंतुला , बड़ा पुत्र मुकुल कटारिया एवं  उनके   परिवार, छोटा पुत्र मनोज कटारिया एवं उनके परिवार के बारे में वर्णन लिखा गया है।  दूसरे खंड में कुछ विशेष चित्र दिए गए है। तीसरा खंड परिशिष्ट है, और इसमें  उनकी  उपलब्धियों का विवरण है। इस में सन १६५० से अभी तक का उनके परिवार का इतिहास , प्रारंभिक ३० जून १९४९ से  २८ नवंबर १९४९ तक की दैनिकी का विवरण , संपूर्ण बायो-डाटा अंग्रेजी में , मुख्य भारत दर्शन यात्राओं का विवरण दिया गया है। चौथे खंड में जीवन की विशेष मधुर स्मृतियों की झलकियां शामिल हैं। पांचवे खंड में प्रेरणादायक अनमोल वचन दिए गये हैं और वे मनन योग्य हैं।

खंड एक में २०१ पृष्ठ हैं। जनवरी १५, १९९८ को , अपनी याददाश्त से, लेखक ने अपने जन्म और बचपन के बारे में लिखा है, वर्ष के अनुसार, १९३९-४० से आगे विभिन्न कार्यकलापों का दिलचस्प वर्णन किया गया है। जीवनी का वृत्तांत सतत नहीं है  बीच बीच में कुछ समय का नहीं लिखा है।  जून २५ , २०२० को लेखक ने पुनः अपने पौत्र के कहने से, जीवनी लिखनी शुरू की, जो एक जनवरी १९९१ से आरम्भ होती है। अक्टूबर ३१, २०२० को यह   वृत्तांत लिखना पूर्ण किया ।  दो अंतर्राष्ट्रीय सेवा संस्थानों, रोटरी क्लब और भारत विकास परिषद् में लेखक का रुझान रहा। इस खंड के शेष पृष्ठों में लेखक के ज्येष्ठ भ्राता हनुमान प्रसाद कटारिया , छोटी बहिन, छोटे भाई, बड़े पुत्र और उनकी दोनों पुत्रियॉं ,  लेखक के छोटे पुत्र और उनकी दो  पुत्रियों और पुत्र का परिचय दिया गया है। खंड दो में - चित्र दीर्घा - जीवन के विशेष चित्र के रूप में  दी गई है।  इसमें कुल ४७ श्याम और सफ़ेद और रंगीन फोटो दिए गये है जो उनके जीवन के विभिन्न चरणों पर, विभिन्न अवसरों और समारोहों में लिए  गये हैं और कुछ परिवार और निवास स्थान से सम्बंधित है।

खंड तीन परिशिष्ट है और इसके पहले पृष्ठ पर इसका अनुक्रम दिया हुआ है। इस में सन १६५० से इस कुटुंब का इतिहास दिया हुआ है। १९४९ के पांच महीनों की दैनिकी का विवरण है।  लेखक का संपूर्ण बायो डाटा अंग्रेजी में दिया गया है. इसके बाद   लेखक की ११  मुख्य भारत दर्शन यात्राओं के  (यद्यपि उन्होंने ९० यात्राऐं करने का का लिखा है) सजीव वृत्तांत अंग्रेजी में दिए गये हैं, जो विभिन्न स्थानों पर ट्रेन, टैक्सी, ऑटो  आदि से उन्होंने परिवार सहित सम्पन्न की।  इनमें तारीखों , समय सहित  दर्शन किये गए स्थानों का वर्णन बखूबी किया गया है। पीढ़ी का इतिहास, चार्ट बना कर उत्तम रूप से दर्शाया  गया है। दैनिकी में अपनी उपलब्धियों व असफलताओं का वर्णन किया गया है। अपने विस्तृत बायो डाटा में तकनीकी जानकारी, पारिवारिक जानकारी ,  प्रशिक्षण, विभिन्न संस्थानों  और संगठनों  की सदस्यता , रेलवे की नौकरी के पहले का अनुभव तथा ब्यौरेवार भारतीय रेलवे संगठन में क्रमानुसार अनुभव, सामाजिक उपलब्धियां, प्रस्तुत किये गए तकनीकी प्रपत्र, विभिन्न समारोहों की सूची जिनमें लेखक मुख्य अतिथि थे , रोटरी सम्मेलनों की सूची जिनमे भाग लिया, जिन संस्थानों द्वारा सम्मान दिया गया उनकी सूची आदि दी है। 

खंड चार में २५ मधुर स्मृतियों का विवरण है , जिसमें विभिन्न दस्तावेज , पत्रों आदि की प्रतियां, रेलवे संगठन की पत्रिकाओं में छपी जानकारी, रोटरी क्लब के कुछ दस्तावेज, भारत विकास परिषद्  तथा कुछ अन्य संगठनों के पत्र प्रस्तुत किये गए है। खंड पांच में , कई अच्छे वचन  आदि,  विभिन्न स्रोतों से एकत्रित कर प्रस्तुत किये गए हैं,    जैसे जीवन जीने की कला के २० बिंदु, विभिन्न सद्पुरुषों के २० वचन, अमरवाणी दैनिक भास्कर से १५८ बिंदु, दैनिक भास्कर -सुविचार के ३४ बिंदु, और दैनिक भास्कर जयपुर जीवन दर्शन के ५४ बिंदु।  एक पूरे  पृष्ठ पर जीवन अच्छा  बनाने के लिए  कई बातें  लिखी गई हैं।

प्रत्येक खंड के शुरू करने से  पहले , खंड के प्रथम पृष्ठ पर परिवार के छोटे नन्हे बच्चों की शानदार फोटो दी गई हैं,  जो उपयुक्त लगती हैं और इन्ही पृष्ठों पर उद्धरण भी दिए गये है। पुस्तक हिंदी और अंग्रेजी  मिश्रित भाषा में लिखी गई है। पुस्तक के मुखपृष्ठ  पर लेखक की फोटो हैं और कवर डिज़ाइन आकर्षक है। पुस्तक के अंतिम पृष्ठ पर लेखक और उनकी धर्मपत्नी का,  पुष्पों के बीच बैठे हुए फोटो आकर्षक हैं और साथ में लिखा गया ऋग्वेद से लिया गया सन्देश भी यथोचित है।  पुस्तक में उपयोग में लाये गए कागज़ की गुणवत्ता भी उत्तम है।

जो  भी व्यक्ति इस पुस्तक का अध्ययन करेंगे , वे पुस्तक में लिखी विभिन्न गतिविधियों   की जानकारी  और अन्य सामग्री से, अपने जीवन के लिए उपयोगी सार/निष्कर्ष निकाल सकते हैं और जीवन को सफल बना सकते है। यह पुस्तक पढ़ने से वैसे तो कई बातें सीखने को मिलती हैं परन्तु मेरे विचार में विशेष रूप से इस से नीचे लिखी  सीख साथ ले जा सकते हैं। माता और पिता यदि चाहें तो साधन नहीं होने पर भी अपने बच्चों को शिक्षित करा सकते है।  गरीब या कम पढ़े लिखे परिवार में जन्म होने के बाद भी व्यक्ति  उच्च स्तर तक पहुँच सकते है।  बच्चों  को कठोर परिश्रम करना जरूरी है।  परिवार के सभी सदस्यों के साथ मिल ज़ुल कर रहना चाहिए ।  संयुक्त परिवार से जीवन सरल और सफल होता हैं। बड़ों से सीखने को बहुत कुछ मिलता है। जीवन दैनिकी जरूर लिखनी चाहिए।  जीवन में परिवार सर्वोपरि हैं और उन्हें यात्राओं पर भी ले जाना  चाहिए। बिखरे परिवार से सम्मिलित परिवार, ज्यादा ताकतवर और सभी के लिए लाभदायक होता है। जो अपने स्वयं के लिए या अपने परिवार के किन्हीं सदस्यों की बेहतरी के मार्ग के लिए दिशा निर्देश चाहते हों उन्हें यह पुस्तक उपयोगी लगेगी। अगर समग्र रूप में देखा जाये तो यह  पुस्तक न केवल अपने परिवार के,  बल्कि  सभी के लिए उपयोगी जानकारी और मार्गदर्शन उपलब्ध कराती है  और सभी के लिए उपयोगी सिद्ध होगी ।

                        ------समीक्षक (Reviewer) vijaiksharma